जून - जुलाई के महीने में कैसा आहार लें

जून - जुलाई के महीने में कैसा आहार लें ताकि, हम वातावरण के साथ समायोजन स्थापित कर सकें तथा बारिश में कैसी सावधानियां रखें।

वर्तमान परिस्थिति में मौसम में ठंडक तथा नमी है लेकिन, मुश्किल से एक हफ़्ते पहले ही गर्मी ज़ोरों पर थी; वहीं अब तापमान लगभग 10°C तक कम हो चुका है। हमें ऐसे मौसम में कैसा आहार लेना चाहिए जिससे, वातावरण के साथ आसानी से समायोजन बिठाया जा सकें। चलिए जानते हैं इसके विषय में -



जब भी दो मौसमों के बीच का समय होता है तब वातावरण में परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखने आरंभ हो जातें हैं, जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। जैसा - कि अभी गर्मी लगना एकाएक कम हो गई है वहीं, वातावरण में ठंडक और नमी के कारण हमें प्यास भी उतनी अधिक नहीं लग रही हैं, जितनी सप्ताह भर पहले तक लग रही थी, तो फिर हमें ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अभी गर्मी पूरी तरह से गई नहीं है लेकिन, तूफान के प्रभाव से प्री-मानसून वाली स्थिति अवश्य निर्मित हो गई है। हालांकि, अभी तापमान बहुत अधिक बढ़ने की संभावना भी नहीं दिख रही है लेकिन, जैसे ही मौसम खुलेगा और धूप चमकने लगेगी; वापस हमें बेचैनी होने लगेगी तथा बीच-बीच में बारिश न होने से सूर्य की गर्मी बढ़ जाती है। इससे शरीर में पित्त दोष बढ़ने लगता है, तो ऐसे में अधिक देर तक भुखे ना रहें, गैस उत्पन्न करने वाले पदार्थों जैसे - राजमा, छोले का सेवन ना करें तथा इस समय खट्टे जैसे - इमली, अचार, तले हुए, बेसन से बने पदार्थ, तेज-मिर्च मसाले वाले, बासी खाद्य-पदार्थों और पित्त बढ़ाने वाले खाद्यों का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस प्रकार जब एक मौसम के पश्चात दूसरे मौसम के आगमन का समय होता है, उस दौरान हमारा आहार ऐसा होना चाहिए जिससे, दोनों मौसमों के बीच समायोजन बिठाया जा सके। यदि हम अभी बारिश के अनुसार भोजन लेना आरंभ कर दें तो हमें डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है और वहीं यदि हम अभी गर्मी के अनुसार ही भोजन लें, तो यह बारिश के प्रतिकूल होता है। तब हमें एकाएक अपने आहार में परिवर्तन करने से बचना चाहिए और दोनों मौसमों के बीच तालमेल बैठाते हुए, भोजन लेना चाहिए। जैसे - यदि गर्मी कम हो जाने से हमें प्यास कम लग रही है तब भी, हमें पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थों का सेवन आवश्यक रूप से करना चाहिए। इसके लिए नींबू पानी, छांछ तथा अधिक जलांश वाले फल जैसे - तरबूज, खरबूज, लीची आदि का सेवन तब तक करना चाहिए जब तक ये ताज़े फल हमें बाजार में मिलें।

बारिश के मौसम में हमारे अव्यवस्थित खान-पान तथा लापरवाही के कारण कई बीमारियाँ होती हैं तथा संक्रमण से मलेरिया, पीलिया, फाइलेरिया, बुखार, जुकाम, दस्त, पेचिश, हैजा, आत्रशोथ (colitis), गठिया, जोड़ों में सूजन, उच्च रक्तचाप, फुंसियाँ, दाद एवं खुजली आदि अनेक रोगों की संभावना बढ़ जाती है।


इसके अतिरिक्त बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से युक्त भोजन हमें बीमार कर देता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस मौसम में फैलने वाली बीमारियों से खुद को कैसे बचाया जाए। तो जवाब है अपने आहार तथा व्यवहार में कुछ बदलाव करके। 


बारिश के मौसम में फल तथा सब्जियों का चुनाव -

अधिक जलांश वाले पदार्थों जैसे - भाजियों के बैक्टीरिया तथा फंगस से दूषित होने का खतरा अधिक होता हैं, अतः फल तथा अन्य सब्जियों का चयन करते समय ध्यान रहे कि, वे कटे - फंटे ना हों वहीं मीठे फलों के जल्दी दूषित होने का खतरा होता है। इन्हें ताज़ा ही खरीदें तथा तुरंत काट कर खाएं, साथ ही कच्चे सलाद ना खाएं इन्हे थोड़ा उबालकर खाएं तथा सब से ज्यादा खतरा दूषित जल से होता है इसलिए, उबाल कर ठंडा कर, अथवा फिल्टर करने के पश्चात ही पियें।


बारिश के मौसम में खुद को फिट रखना है और साथ ही परिवार के लोगों की सेहत का ध्यान रखना है तो, हमें पर्याप्त कैलोरी, प्रोटीन, कम वसा तथा पोषक तत्वों से भरपूर ऐसे भोजन ग्रहण करने चाहिए जो हल्के, सुपाच्य, ताज़े, गर्म और पाचक अग्नि को बढ़ाने वाले हों। इस आहार में प्रोटीन के अलावा बीटा कैरोटीन, विटामिन सी, ई, बी - कॉम्प्लेक्स, सेलेनियम, ज़िंक, फॉलिक एसिड, आयरन, कॉपर, मैंग्नीशियम, प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक आहार भी शरीर के लिए अच्छे होते हैं।

आइए हम आपको बताते हैं कि इस दौरान अपने खान-पान में कौन सी सावधानी रख कर बीमार होने से बच सकते हैं -

  • खाने में पर्याप्त तरल हो इसके लिए सूप बोहोत अच्छे माध्यम हो सकते हैं जोकि भूख बढ़ाने के साथ ही खाने को पचाने में भी मदद करतें है।
  • अधिक गरिष्ट भोजन का सेवन ना करें।
  • मांसाहार का सेवन करने वाले बेहद सावधानी से इन्हे साफ़ करें तथा अच्छी तरह पकाकर ही खाएं, कच्चे मांस का सेवन बिलकुल ना करें।
  • इसी प्रकार कच्चे दूध के सेवन से भी बचें।
  • घर में जमाए हुए ताजी दही तथा उससे बने ताज़े पेय जैसे - नमकीन लस्सी, छांछ आदि को आहार में सम्मिलत करें।
  • भोजन में सीमित मात्रा में मसले तथा हर्ब्स जैसे - अदरक, लहसुन, दालचीनी का भी प्रयोग करें।
  • बारिश और पकोड़े कि तो जुगलबंदी है हि लेकिन, यह घर का बना हुआ कभी कभार ही लें। 
  • बारिश के मौसम में जगह - जगह पानी इकट्ठा होने लगता है, जिससे - मच्छर, मक्खी अधिक होने लगते है साथ ही भोज्य पदार्थों को दूषित करने का कार्य इनके द्वारा बहुत अधिक किया जाता हैं।


  • ऐसे में बाहर का खाने से बचें तथा घर पर भी साफ - सफाई का अधिक ध्यान रखें। यदि मजबूरन खाना ही पड़े तब भी किसी भी मौसम में पानी बिल्कुल भी बाहर ना पिएं अथवा सुनिश्चित कर ले कि पानी स्वचछ है, तभी पिएं तथा हमेशा घर से पानी ले कर ही निकलें।
  • बिना भूख के खाना खाने या अधिक खाने से परहेज़ करें।
  • ठंडे तासीर वाले भोज्य पदार्थों का रात्रि में सेवन ना करें।




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