भोजन के पोषण मूल्यों को बढ़ाने के लिए कुछ सामान्य किचन टिप्स

भोजन का हमारे जीवन में एक बहुत ही महत्वूर्ण स्थान है, हम हर रोज कई प्रकार के भोज्य पदार्थों का सेवन करते है, जिनमे से कुछ तो प्रतिदिन ही हम अपने आहार में सम्मिलत करते है, जैसे - भारतीय आहार में चावल, दाल, रोटी और सब्जियां इनकी वैरायटी और रेसिपीज अलग - अलग स्टेट, घर और बनाने वाले की सुविधा अनुसार अलग - अलग होती है, लेकिन हर रेसिपी का एक सबसे महत्वूर्ण और प्रारंभिक भाग होता है "प्रिपरेशन" 

यहां कुछ ऐसे किचन टिप्स बताए गए हैं, जिनके द्वार हम अपने भोजन को कम समय में तथा अधिक पोषक तत्वों से युक्त बना सकतें है।    


शाकाहारी भोजन में कुछ मामूली परिवर्तन द्वारा हम उनके पोषक तत्वों की उपलब्धता को सुधार सकतें है-


1. भोज्य पदार्थों को बाह्य अशुद्धियों से मुक्त करने के लिए उन्हें अच्छी तरह से धोना आवश्यक होता है। 

सब्जियों, फलों को खरीदने के बाद और इनकी प्रोसेसिंग के पहले ही बहते पानी में धो लेंना चाहिए। 

  • पहला कारण यदि बाहरी आवरण पर कुछ भी इंप्योरिटी है तो, वह काटने के दौरान चाकू की मदद से आसानी से अंदर चली जाती है।
  • दूसरा कारण यह कि जल में घुलनशील पोषक तत्व, जल के संपर्क में आने से उनके साथ आसानी से घुलने लगते हैं। जिससे उन पोषक तत्वों की उपलब्धता भोजन में कम हो जाती है। इसीलिए, हमे पहले से कटे हुए सब्जियों के चुनाव से भी बचना चाहिए। 
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कारण- जब हम सब्ज़ियों को काट कर धोतें है तब, उनकी सतह के अधिक भाग का जल से संपर्क होता है जो पोषक तत्वों के अधिक हानि के लिए ज़िम्मेदार होते है। इससे बचने के लिए जिन भी सब्जियों को काटने के पूर्व धोया जा सके, धो लें।

2. जिन भोज्य पदार्थों का सेवन किया जाना हो, यदि संभव हो सके तो उन्हें सम्पूर्ण रूप से अर्थात् छिलके सहित ग्रहण करें; अनावश्यक रूप से उन्हें छिल कर अथवा जूस या प्यूरी के रूप में ग्रहण ना करें। यदि छिलना आवश्यक हो तो बारीकी से छिलें, अधिक मोटा छिलका ना उतारें।

कारण- जब हम भॊज्य पदार्थों को छीलते हैं, तब उनके छिल्के में उपस्थित पोषक तत्वों जैसे - रेशे एवम् अन्य विटामिन्स तथा मिनरल्स, छिल्के के साथ ही निकल जाते हैं साथ ही छिलके के बिल्कुल नीचे उपस्थित पोषक तत्व भी छिल्के के साथ ही निकल जाते हैं। इसी प्रकार जब हम फल तथा सब्जियों का रस निकालते है तब उनके ठोस भाग में उपस्थित पोषक तत्व व्यर्थ हो जाते है।

3. नट्स, दाले तथा फलियों को हमेशा खाने अथवा बनाने से कुछ घंटे पूर्व जल में भिंगा कर रखें।

कारण- इन भोज्य पदार्थों में कुछ अवांछित तत्वों की उपस्थिति के कारण, ये स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते है। जिसके कारण पेट में गैस बनने की तथा पाचन प्रक्रिया प्रभावित होने की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।

जल में जब इन्हे भिंगा कर रखा जाता है तब इन विषैले पदार्थों की क्रियाशीलता कम हो जाती हैं तथा पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है। साथ ही इसका प्रत्यक्ष तौर पर एक फ़ायदा यह भी देखा जा सकता है की इनका कुकिंग टाइम इस प्रक्रिया के माध्यम से काफी कम हो जाता है जो कि अपने आप में पोषक तत्वों की बचत में काफ़ी मदद करतें हैं।

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4. भोजन की तैयारी के लिए दाल, छोले, या अंकुरित अनाजों के लिए चना - मूंग इत्यादि को धोकर ही भींगाएँ एवं भींगने के लिए केवल उतना ही पानी लें जितना कि आवश्यक हो तथा इन्हें उबालने के लिए भी इसी पानी का उपयोग किया जाना चाहिए।

कारण- जब हम अनाज तथा दालों को भिंगाते हैं तब, उनके जल में घुलनशील पोषक तत्व जल के साथ घुल जाते हैं। जिससे उन पोषक तत्वों की उन भोज्य पदार्थों में कमी हो जाती हैं। लेकिन, जब आगे की कूकिंग प्रोसेस के लिए इन्हीं पोषक तत्वों से युक्त जल का प्रयोग किया जाता है तब, इस कमी को रोका जा सकता हैं। 

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5. साथ ही प्रिपरेशन के समय सामग्री में पर्याप्त वैरायटी रखें, एक ही अनाज या दाल के स्थान पर इनकी अलग - अलग क़िस्म का चयन करें। ताकि, एक ही व्यंजन से भी विभिन्न पोषक तत्व आसानी से मिल सकें साथ ही आसानी से विभिन्न रंगो से उक्त भोजन तैयार हो।

ये परिवर्तन बेहद ही आसान और महत्वूर्ण है। इनसे हमें कोई हानि तो नहीं होगी लेकिन ढ़ेर सारे फ़ायदे अवश्य होंगे।


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